इधर उधर बिखरे सुमनों से,
की ये गुरुपूजा, की ये गुरुपूजा............।धृ।
यहां खडे है नत मस्तक कर,
श्री प्रताप तपस्वी नरवर, यहां खडे गोविंद गुरुवर,
यहां है केशव शिव सरजा,
की ये गुरुपूजा.......।१।
यहां जले दीपक जीवन के,
गढ़ चितौड की उन युवतीन के,
फूल चले है लाल गुरु के, जिन्होंने मृत्यु सुखद समजा,
की ये गुरुपूजा....।२।
लाकर समिधा निज यौवन की,
आहुति दें सौख्य स्वप्न की,
रखी दक्षिणा तन मन धन की,
क्या तूं दे सकता दे जा,
की ये गुरुपूजा.... ।३।
साक्षी बन इस होम हवन का,
मंत्र सीखा उज्जवल जीवन का,
आ जा राष्ट्र पुरुष आ जा
आ जा राष्ट्र पुरुष आ जा की ये गुरुपूजा......। ४।
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Monday, July 23, 2018
इधर उधर बिखरे सुमनों से
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