Friday, June 26, 2020

आज हिमालय की चोटी से,

आज हिमालय की चोटी से, 
ध्वज भगवा लहराएगा ।
जाग उठा है हिन्दू फिर से,
भारत स्वर्ग बनाएगा ॥ध्रु॥
इस झंडे की महिमा देखो, 
रंगत अजब निराली है ।
इस पर तो ईश्वर ने डाली 
सूर्योदय की लाली है ।
प्रखर अग्नि में इसकी पड़, 
शत्रु स्वाहा हो जाएगा ॥१॥
इस झंडे को चन्द्रगुप्त ने 
हिन्दू-कुश पर लहराया ।
मरहटों ने मुग़ल-तख़्त को 
चूर-चूर कर दिखलाया ।
मिट्टी में मिल जाएगा 
जो इसको अकड़ दिखाएगा ॥२॥
इस झंडे की खातिर देखो 
प्राण दिए रानी झांसी ।
हमको भी यह व्रत लेना है, 
सूली हो या हो फांसी ।
बच्चा-बच्चा वीर बनेगा,
अपना रक्त बहाएगा ॥

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