Thursday, February 8, 2018

बनें हम धर्मके योगी, धरेंगे ध्यान संस्कृति का

बनें हम धर्मके योगी, धरेंगे ध्यान संस्कृति का
उठाकर धर्मका झंडा, करेंगे उत्थान संस्कृति का ।। धृ ||

गलेमें शीलकी माला, पहनकर ज्ञानकी कफनी
पकडकर त्यागका झंडा, रखेंगे मान संस्कृति का ||१||

जलकर कष्टकी होली, ऊठाकर ईष्तकी झोली
जमाकर संतकी टोली, करें ऊत्थान संस्कृति का ||२||

हमारे जन्मका सार्थक, हमारे मोक्षका साधन
हमारे स्वर्गका साधन, करें ऊत्थान संस्कृति का ||3||

No comments:

Post a Comment